लोग मिलते है मिल के बिछड़ जाते है
ये वो मौसम है जो पल में बदल जाते है
कैसे कहे हम उन्हें हमराह दोस्तों
वफ़ा के मोड़ पे जो तन्हा छोड़ जाते है
किसी को पाने की दिल से ख्वाहिश तो कर
अपनी चाहत की खुदा से फरमाइश तो कर
लड़ कर ही जीती थी सिकंदर ने दुनिया
तु भी जरा तकदीर से जोर आजमाइश तो कर
अमरीश जोशी "अमर"
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