Monday, February 11, 2013

आज दिल में तो था दरिया, मगर आँखों में नमी कम थी


नदारद थी आँगन से अम्मा 
धुप में आज गर्माहट भी कम थी 
क्यों शोर गायब था पंछी और बच्चो का 
घर में आज तो टी वी भी बंद थी 

कहा गयी मुस्कान चहरे की 
चाय में शक्कर भी कम थी 
क्यों कड़वा लगा पानी मुझे 
आज तो प्यास भी कम थी 

माँ के चहरे को रोज मैं 
अखबार सा पढ़ता हूँ 
आज दिल में तो था दरिया 
मगर आँखों में नमी कम थी 

अमरीश जोशी "अमर"

No comments:

Post a Comment