एक तरफ नाम आँखों से
अर्थी पैर डाले गए सिक्कों की खन खन
दूसरी तरफ उन्ही सिक्कों को उठता
ख़ुशी से आल्हादित बचपन
एक तरफ मृतक के परिजनों का दुःख
उनका करुण रुदन
दूसरी और उन बच्चो की निर्दोष ख़ुशी
आज जेड में जलेबी खा पाने का आनंद
दिल असमंजस में है
किस के लिए अफ़सोस करू
दिमाग कहता है
चीखती चिल्लाती दुनिया की तरह
मैं भी यहाँ खामोश रहू
अमरीश जोशी "अमर"
अर्थी पैर डाले गए सिक्कों की खन खन
दूसरी तरफ उन्ही सिक्कों को उठता
ख़ुशी से आल्हादित बचपन
एक तरफ मृतक के परिजनों का दुःख
उनका करुण रुदन
दूसरी और उन बच्चो की निर्दोष ख़ुशी
आज जेड में जलेबी खा पाने का आनंद
दिल असमंजस में है
किस के लिए अफ़सोस करू
दिमाग कहता है
चीखती चिल्लाती दुनिया की तरह
मैं भी यहाँ खामोश रहू
अमरीश जोशी "अमर"