Sunday, September 25, 2011

"मेरा दिल कहे गोरी"

मेरा दिल कहे गौरी
कर लूं मैं तेरा दिल चोरी
बांधेतुझे मुझसे वो
प्रेम डोर चाहिए

बन कर मैं चातक
देखूं तुझे एक टक
चांदनी के सिवा
चाँद को क्या और चाहिए

ख्यालों में तु ही गौरी
ख्वाबों में भी तु आये
शुरू हो तुझी से दिन
ऐसी भोर चाहिए

आँखे तेरी रम सोडा
प्यार तेरा पेप्सी कोला
" ये दिल मांगे मोर"
मुझे प्यार और चाहिए

दिल जो भी चाहे जब भी
सब कुछ मिलता नहीं
जितना ही मिले इसे
थोडा और चाहिए

तु ना मिले तो ना सही
दुनिया में तु ही नहीं
और भी हंसीं है जिन्हें
चित-चोर चाहिए

अच्छी लगी जो कविता
यार कहो वाह वाह
कवि को बस
तालियों का शोर चाहिए

मेरा दिल कहे गौरी
कर लूं मैं तेरा दिल चोरी
बांधे तुझे मुझ से वो
प्रेम डोर चाहिए

अमरीश जोशी "अमर"


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