हिंदु है सिख-ईसाई
मुसलमान यहाँ है
मैं ढूंढता हूँ आज
इंसान कहाँ हैं ?
भाषा जाती धरम के टुकड़ो में
बंटता हुआ वतन
सरे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्तान कहाँ हैं ?
फिर देश में रावन और
दुस्साशन तो आ गये
कहाँ है पार्थ सारथी ?
और राम कहाँ हैं ?
आश्रमों में रहने को
मजबूर बुढ़ापा
श्रवण कुमार सी वो
अब संतान कहाँ हैं ?
राजनीति के दल दल में
अब खिलते नहीं कवँल
यहाँ झूठ छल कपट तो हैं
बलिदान कहाँ है ?
नोंच लिए हैं उसके पर
भ्रष्ट लोगों ने
अब सोने की चिड़िया के पास
उड़ान कहा हैं ?
अमरीश जोशी "अमर"
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