Tuesday, April 2, 2013

हिंदु है सिख-ईसाई मुसलमान यहाँ है मैं ढूंढता हूँ आज इंसान कहाँ हैं ?


हिंदु है सिख-ईसाई 
मुसलमान यहाँ है 
मैं ढूंढता हूँ आज 
इंसान कहाँ हैं ?

भाषा जाती धरम के टुकड़ो में
बंटता हुआ वतन 
सरे जहाँ से अच्छा 
हिंदोस्तान कहाँ हैं ?

फिर देश में रावन और 
दुस्साशन तो आ गये 
कहाँ है पार्थ सारथी ?
और राम कहाँ हैं ?

आश्रमों में रहने को 
मजबूर बुढ़ापा 
श्रवण कुमार सी वो 
अब संतान कहाँ हैं ?

राजनीति के दल दल में 
अब खिलते नहीं कवँल 
यहाँ झूठ छल कपट तो हैं 
बलिदान कहाँ है ?

नोंच लिए हैं उसके पर 
भ्रष्ट लोगों ने 
अब सोने की चिड़िया के पास 
उड़ान कहा हैं ?

              अमरीश जोशी "अमर"

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