Tuesday, April 2, 2013

ना बाकि मैं रहूँ ना मेरी तलाश रह जाये

झूका दो मुझे इतना 
बदन बस लाश रह जाये 
ना बाकि मैं रहूँ 
ना मेरी तलाश रह जाये 

ये सोच के  टुटा था मैं
शीशे की तरह यारों 
न बाकि मैं रहूँ 
बस मेरी आवाज़ रह जाये 

मैं टूट कर भी टुकड़ो में हूँ 
बस इसलिए बाकि 
न बाकि मैं रहूँ 
दिल में मगर एक याद रह जाये 

तुझे शिकवे थे शिकायत थी 
मेरे दिल की ये चाहत थी 
ना बाकि मैं रहूँ 
ना तू कही नाराज़ रह जाये 

मेरे दिल ने कहा मुझसे 
नज़र जब फेर ली तुमने 
ना  बाकि मैं रहूँ 
लब  पे मेरे फरियाद रह जाये 

अमरीश जोशी "अमर" 

 

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Thanks & Regards

Amrish Joshi

09425918016

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