Do you wanna go with me on a safari of golden days of life.........................!
वो मिटटी का खिलौना
वो बचपन सलोना
वो खटिया का बिछोना
वो शहतूत की छाँव
वो बड़ी बड़ी चप्पलों में
छोटे छोटे पाँव
वो बरेली की डोर
वो चिपकी वो ताव
वो उड़ाने से ज्यादा
पतंग लूटने का चाव
वो बैठक चांदी वो लुका छिपी
वो चोर सिपाही कभी कभी धुप छाँव
वो नंगे पैर दौड़ना मैदानों में
वो काँटों से लगना पैरो में घाव
वो करना कुट्टी रोज-रोज दोस्तों से
वो हर दिन साथ कार्टून देखना
वो चलाना पटाखे एक दुसरे के
वो होली पर रंगों के गुब्बारे फेंकना
वो महाभारत वो रामायण
वो चंद्रकांता की कहानी
वो मोगली-बघीरा की दोस्ती
वो टॉम-जेरी की दुश्मनी पुरानी
वो लिखना टायटल होली की रात
वो सुबह जोर जोर से पढ़ना
वो फिल्मो की प्लानिंग
वो टिकिट के पैसो के लिए लड़ना
वो परीक्षा की रातों में
सबका छतो पे पढ़ना
वो चार लोगो के मिलते ही
ताश का चलना
वो बनाना रावण दशहरे पर
जन्माष्टमी पर मटकी फोड़ना
वो सताना समझाना दोस्तों का
वो कहना "ए चल छोड़ना"
वो मिटटी का खिलौना
वो बचपन सलोना
वो मम्मी से बाज़ार में जिद
मुझे क्रिकेट बेट लेकर दो ना
वो बारिश का पानी
वो कागज की नाव
वो मम्मी का रोज कहना
चलो उठो स्कूल जाओ
वो कुल्फी का ठेला
वो चोकलेट का भाव
सब याद आता हे जब तु कहता हे
चाचू आप आ जाओ
चाचू आप आ जाओ.........
अमरीश जोशी "अमर"
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