Thursday, February 7, 2013

रहे हाँ सच पे जो कायम बड़ी कीमत चुकाता है




रहे हाँ सच पे जो कायम बड़ी कीमत चुकाता है



रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है
दबा कर दर्द को दिल में
वो कैसे मुस्कुराता है


मुश्किलों ने किया मुफलिस 
मगर देखो खजाने को 
दिखा कर दर्द को ठेंगा 
वो ऐसे मुस्कुराता है 

रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है

दगा देगा तुन्हें, कैसे ?
तुम्हारा हक़ वो छीनेगा 
खजाने जो दुआओ के 
हर पल ही लुटाता है 


रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है


हुआ पैदा जो शक दिल में 
लगे हर रिश्ता जब झूठा 
यकीन ना हो जो अपनो को 
तो सच भी हार जाता है


रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है


ना मैं झूठा ,न वो झूठा 
मगर सच है कहाँ ? देखो
वो रिश्तों की दुहाई दे कर 
मुझको लुटे जाता है   


रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है


किया रोशन था घर जिसने 
लड़ा वो कैसे आँधी से 
बहाता है लहु अपना 
वो रिश्ते यूँ निभाता है 


रहे हाँ सच पे जो कायम 
बड़ी कीमत चुकाता है
दबा कर दर्द को दिल में
वो कैसे मुस्कुराता है

अमरीश जोशी "अमर"

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