Friday, October 22, 2010

"मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा "


"मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा "
कागज मखमली हो जाएँ
स्याही महकने लगे
लफ्ज दुआ बन जाएँ
कुछ ऐसे मुक़द्दस अहसास लिखूंगा
हाँ मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा

वो तेरी प्यारी सी थपकियाँ
वो तेरी मीठी-सी डांट
वो तेरे आँचल की ढंडक
सर पर तेरे हाथों का अहसास
खुदा की सारी नेमतों का आज में हिसाब लिखूंगा
हाँ मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा

गीता के श्लोक
कुरान की आयतें
महबूब की खुबसुरती
प्यार की शिकायतें
दुनिया की तमाम बातें तेरे बाद लिखूंगा
हाँ मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा

मेरे दर्द में तेरी छटपटाहट
मेरी उदासी में बैचेन तेरी सांसे
मेरे इम्तिहानो में तेरा रतजगा
ओर मेरी ख़ुशी में तेरी छलकती पलकें
आज तेरी हार एक अदा हार एक अंदाज लिखूंगा
हाँ मैं आज माँ पर एक किताब लिखूंगा